Wednesday, July 24, 2019

हाथी दांत का सबसे बड़ा ज़खीरा बरामद

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ फ्रांस सितंबर में भारत को पहला रफ़ाल विमान सौंप सकता है. विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल करने का औपचारिक कार्यक्रम सितंबर के तीसरे सप्ताह में फ्रांस में हो सकता है.
भारत ने फ्रांस से 36 रफ़ाल लड़ाकू विमान ख़रीदे हैं. हालांकि विमानों का पहली खेप अगले साल अप्रैल-मई में ही भारत को मिल सकेगी.
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पाकिस्तान बनने के बाद यह पहली बार हुआ है जब उसने एक साल के भीतर रिकॉर्ड 16 अरब डॉलर का विदेशी क़र्ज़ लिया.
पाकिस्तान को ऐसा अंतरराष्ट्रीय क़र्ज़ों के भुगतान में डिफॉल्टर बनने से बचने के लिए और आयात बिलों के भुगतान के लिए करना पड़ा है. 16 अरब डॉलर का यह विदेशी क़र्ज़ पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में लिया, जिसमें से 11 महीने का कार्यकाल इमरान ख़ान की सरकार का रहा है.
16 अरब डॉलर में से 13.6 अरब डॉलर इमरान ख़ान की सरकार ने अपने कार्यकाल में क़र्ज़ लिया जो कि किसी भी सराकार में एक साल के भीतर सबसे बड़ा विदेशी क़र्ज़ है. बाक़ी के 2.1 अरब डॉलर जुलाई 2018 में पाकिस्तान की केयरटेकर सरकार ने लिया था
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इनकम टैक्स फ़ाइल करने की तारीख़ को आगे बढ़ा दिया है. अब 31 अगस्त 2019 तक इनकम चैक्स रिटर्न भरा जा सकेगा. पहले यह तारीख़ 31 जुलाई थी.
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16 अरब डॉलर का 42 फ़ीसदी हिस्सा यानी 6.7 अरब डॉलर का क़र्ज़ पाकिस्तान ने चीन से लिए हैं. इनमें 2.54 अरब डॉलर व्यावसायिक क़र्ज़, 1.6 अरब डॉलर सीपीईसी के तहत, दो अरब डॉलर एसएएफई डिपॉजिट और 62.84 करोड़ डॉलर कराची न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के लिए दिया. वित्तीय वर्ष 2017-18 में चीन ने पाकिस्तान को 4.5 अरब डॉलर का क़र्ज़ दिया था.
वित्तीय वर्ष 2018-19 का अंत पिछले महीने जुलाई में हुआ था और अंत-अंत तक क़र्ज़ 16 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इस क़र्ज़ में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और क़तर के पाँच अरब डॉलर शामिल हैं. पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्यून का कहना है कि वित्त मंत्रालय की तरफ़ से जो डेटा जारी किया गया है उसमें इस पाँच अरब डॉलर को क़र्ज़ के तौर पर शामिल नहीं किया गया है.
शुरुआत में चीन के दो अरब डॉलर को भी विदेशी क़र्ज़ में शामिल नहीं किया गया था लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के दबाव में पाकिस्तान को ऐसा करना पड़ा. वित्तीय वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान ने 11.4 अरब डॉलर का विदेश क़र्ज़ लिया था.
यह फैसला केंद्र सरकार और सीबीडीटी ने लिया है. मौजूदा स्थिति के अनुसार अब अगर कोई 31 अगस्त के बाद रिटर्न फ़ाइल करता है तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा.
बच्चे का वज़न कम था इसलिए मां ने खिड़की से फेंक दिया
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की एक ख़बर के अनुसार एक मां ने अपने दो महीने के बच्चे को एक अस्पताल की खिड़की से फेंक दिया. इसकी वजह से बच्चे की मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक़ बच्चे का वज़न से कम था और इस वजह से महिला अवसाद में थी.
शांति नाम की इस महिला ने 26 मई को एक बेटे को जन्म दिया था. जन्म के समय बच्चे का वज़न 750 ग्राम था. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता संदीप तिवारी ने बताया कि बच्चा अस्पताल में भर्ती था.
उन्होंने बताया कि यह महिला ट्रॉमा सेंटर के चौथे माले पर पर गई और वहीं खिड़की से बच्चे को बाहर फेंक दिया. बच्चे की तुरंत ही मौत हो गई.
चीन से मिली सूचना पर कार्रवाई करते हुए सिंगापुर के अधिकारियों ने अब तक का सबसे बड़ा हाथी दांत का जख़ीरा बरामद किया है.
सिंगापुर के कस्टम अधिकारियों ने करीब नौ टन हांथी दांत ज़ब्त किए हैं. ये क़रीब तीन सौ हाथियों के दांत हैं. क़रीब 1.3 करोड़ डॉलर क़ीमत के ये हांथी दांत ऐसे शिपिंग कंटेनर से मिले हैं जिसे टिंबर बताया गया था.
बुधवार को आसामान में बादल छाए रहेंगे और तापामान 28 से 37 डिग्री के बीच रहेगा. दिल्ली में एक जुलाई से 23 जुलाई के बीच 156.5 एमएम बारिश हुई है जो पिछले 30 सालों में चार फ़ीसदी ज़्यादा है.
स्थानीय सर्किल ऑफ़िसर ने बताया कि महिला को गिरफ़्तार कर लिया गया था. पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि बच्चे का वज़न बहुत कम था और वो काफ़ी कमज़ोर था, जिसकी वजह से वो बहुत परेशान चल रही थी.
पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और सीसीटीवी फ़ुटेज देख रही है.

Monday, July 1, 2019

هل يستجيب المجلس العسكري لمطالب المتظاهرين؟

ويقول تورتوريلو: "يتخذ رد فعل الشخص المهووس بالعظمة الذي يريد تأكيد قوته وسيطرته على العلاقة، صورة تهديدات شفوية، وبدنية ومراقبة مشددة".
في حين أن الأشخاص سريعي التأثر، يتملكهم القلق وتستولى عليهم مشاعر سلبية وقد يعتبرون الخيانة إهانة شخصية.
ويقول تورتويلو: "إذا كنت مرتبطا بعلاقة عاطفية مع شخص نرجسي، واقترفت خيانة جسدية، ستكون ردود فعله انتقامية تدميرية، لأنه سيحاول فرض سطوته. لكن الأمر يختلف في حالة الخيانة العاطفية، فقد لا يفصح الشخص سريع التأثر عن مخاوفه حيال علاقتكم المهددة بالفشل". ويقترح توتوريلو في هذه الحالة، محاولة بناء جسور للتواصل والتفاهم بين الطرفين، ولا سيما إذا كانت العلاقة مشحونة بالمشاعر السلبية المكبوتة.
وإذا كانت الخيانة مجرد حدث عابر لمرة واحدة، فأغلب الظن أن الطرف الذي تعرض للخيانة سيصفح ويسامح الطرف الآخر إذا اعتذر وندم على فعلته. ويؤكد كل من تورتوريلو وبون على أن استجابة الناس للمواقف الافتراضية تختلف عن استجابتهم في الواقع. إذ يقول الناس عادة أنهم سينفصلون على الفور عن شركاء حياتهم إذا اكتشفوا خيانتهم، لكن الواقع شيء آخر. فإن الخيانة تنهي العلاقة الزوجية أحيانا ولكن ليس دائما.
وعلى الرغم من انتشار معدلات الخيانة بين الناس على مدار الحياة - إذ يتعرض لها الكثيرون في مرحلة ما من حياتهم- إلا أنه لا يمكن حتى الآن التنبؤ بالفترة التي تزداد فيها فرص الوقوع في الخيانة. ولهذا ربما لا يكون الحديث عنها ملحا الآن.
خرج الآلاف في مسيرات في العاصمة السودانية الخرطوم، الأحد 30 يونيو/ حزيران، استجابة لدعوات أطلقتها قوى الحرية والتغيير، في محاولة منها لممارسة ضغوط على المجلس العسكري لتسليم السلطة إلى إدارة مدنية.
وشهدت مناطق واسعة في العاصمة تظاهرات، هي الأكبر منذ أن فضت القوات الأمنية اعتصام المعارضة مطلع الشهر الجاري. وردد المحتجون شعارات مطالبة المجلس العسكري بضرورة تسليم السلطة للمدنيين ومحاسبة المتورطين في واقعة فض الاعتصام.
ولم تقتصر المظاهرات على العاصمة، بل امتدت إلى مدن سودانية أخرى، منها الأُبَيِّض ومدني وعطبرة وبورتسودان.
وانتشرت في الشوارع الرئيسية للعاصمة تشكيلات عسكرية مكونة من قوات الدعم السريع والشرطة والجيش والأمن، بالإضافة إلى التمركز الأمني المكثف حول عدد من المرافق الحيوية.
وأصدر المجلس العسكري السوداني بيانا، السبت 29 يونيو/حزيران، حمَّل فيه قوى الحرية والتغيير "المسؤولية الكاملة عن أي روح تزهق في هذه المسيرة أو أي خراب أو ضرر يلحق بالمواطنين أو مؤسسات الدولة جراء تعطيل المرور وإغلاق الطرق ومس المصالح العامة ومعاش الناس" .
وفي السياق ذاته، حذر نائب رئيس المجلس العسكري، اللواء محمد حمدان دقلو (حميدتي)، من وجود مخربين لهم أجندة خفية تحاول استغلال المظاهرة، التي دعت لها المعارضة في الخرطوم.
في المقابل، شددت قوى الحرية والتغيير على أهمية الاحتشاد، مؤكدة على سلمية التظاهرات، ومحذرة من الاعتداء على المتظاهرين. واتهم تجمع المهنيين السودانيين، أحد فصائل قوى الحرية والتغيير، قوات تابعة للمجلس العسكري بـ "اقتحام مقره ومنع انعقاد مؤتمر صحفي" كان مقررا، السبت 29 يونيو/حزيران، للحديث عن التظاهرات.
وتتهم قوى الحرية والتغيير المجلس العسكري بـ "الانقلاب على إرادة السودانيين"، وعدم الجدية في تسليم السلطة إلى إدارة مدنية.
وتُعتبر مظاهرات 30 يونيو/حزيران اختبارا حقيقيا لقدرة قوى الحرية والتغيير على الحشد، خاصة بعد تلقيها ضربة موجعة، في 3 يونيو/ حزيران، عندما تمكنت قوات الأمن السودانية من فض اعتصام للمعارضة في العاصمة الخرطوم، أسفر عن مقتل العشرات وإصابة المئات.
وفي سياق جهود التوصل إلى حل للأزمة السودانية، أعلن المجلس العسكري، الجمعة 28 يونيو/حزيران، موافقته على مقترح قُدِّم من الاتحاد الإفريقي وإثيوبيا لاستئناف التفاوض مع قوى المعارضة. وكان المجلس العسكري قد رفض مقترحا إثيوبيا سابقا لاستئناف التفاوض كانت قوى الحرية والتغيير قد وافقت عليه، داعيا إلى ضرورة دمج جهود الاتحاد الإفريقي وإثيوبيا معا.
وتوقفت المحادثات المباشرة بين المجلس العسكري الانتقالي وقوى الحرية والتغيير، منتصف مايو/أيار، بسبب اختلاف الجانبين على من يقود المجلس السيادي، العسكريون أم المدنيون. إلا أن المحادثات انهارت تماما عندما فضت قوات الأمن السودانية اعتصاما أمام القيادة العامة للجيش، 3 يونيو/ حزيران، أسفر عن سقوط عشرات القتلى.
وتعليقا على دعوات التظاهر، عبر الاتحاد الأوروبي عن تأييده لحق الشعب السوداني في الاحتجاج والتعبير عن آرائه. كما أعرب الاتحاد الأوروبي عن مساندته للجهود الإفريقية والإثيوبية الهادفة للتوصل إلى حل للأزمة في السودان.
ولا يغيب الدور الإقليمي عن المشهد السوداني، إذ يرى جانب من المعارضة أن المجلس العسكري يحصل على دعم دول إقليمية تؤيد بقاءه في السلطة للحفاظ على مصالحها. ويشير هؤلاء تحديدا إلى كل من السعودية والإمارات اللتين تعهدتا بتقديم مساعدات تقدر بنحو ثلاثة مليارات دولار. كذلك ينتقدون الدور المصري، الذي يتهمونه بمحاولة إضفاء شرعية على سلطة المجلس العسكري، من خلل دعم سياسي في الاتحاد الإفريقي.
لكن في المقابل تؤكد كل من السعودية والإمارات ومصر أن أي دعم يقدمونه هو للشعب السوداني.
وتولى المجلس العسكري حكم السودان بعد الإطاحة بالرئيس السوداني السابق، عمر البشير، في 11 نيسان/أبريل، عقب مظاهرات حاشدة منددة بحكمه وداعية إلى تنحيته. وبدأ المحتجون اعتصاما أمام مقر قيادة الجيش في الخرطوم في 6 نيسان/أبريل، وهو الاعتصام الذي أدى إلى الإطاحة بالرئيس السابق.
وقالت مصادر طبية إن 130 شخصا، على الأقل، قتلوا منذ بدء الاحتجاجات في السودان، أغلبهم أثناء فض اعتصام القيادة المركزية للقوات المسلحة في الخرطوم. وقالت وزارة الصحة السودانية إن 60 شخصا قتلوا أثناء فض هذا الاعتصام أوائل الشهر الجاري.